Coronavirus: 25 लाख जवानों के लिए रडार जैसा है ‘आरोग्य एप’, बताएगा उनसे कितनी दूर है 'कोरोना'!

covid 19 aarogya setu app
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सार

  • सुरक्षाबलों के लिए आरोग्य सेतु मोबाइल एप डाउनलोड करना जरूरी
  • आयुष मंत्रालय ने आरोग्य सेतु एप तैयार किया
  • जवानों की ड्यूटी की चुनौतियां हैं खास, चाह कर भी दूरी नहीं रख पाते

कोरोना वायरस से लोगों को बचाने की मुहिम में जुटे सुरक्षाबल इस संक्रमण से महफूज रहें, इसके लिए अब एप के जरिए एक ऐसी तकनीक तैयार की गई है, जो रडार की तरह काम करती है। 

इसकी मदद से जवानों को यह पता चल जाएगा कि वे कोरोना संक्रमण के सुरक्षित जोन में हैं या नहीं।

उनमें कोरोना का कोई लक्षण है, तो वह कौन सी स्टेज पर है। 

उसे कैसे बचा जाए, ये सब बातें जवानों को समय रहते पता लग जाएंगी। 

सेना, अर्धसैनिक बल, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ सहित कई राज्यों की स्पेशल टॉस्क फोर्स के 25 लाख से ज्यादा जवान अब खुद को कोरोना से महफूज रखते हुए लोगों की मदद कर सकेंगे।

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कोरोना की लड़ाई में फ्रंट फुट पर आकर लोगों की मदद कर रहे सेना, अर्धसैनिक बल और पुलिस जवानों को पर्सनल प्रोटेक्शन इक्विपमेंटआदि मुहैया कराए गए हैं। 

हालांकि जमीनी स्तर पर मिल रही रिपोर्ट बताती है कि बहुत से उपकरण गुणवत्ता की कसौटी पर खरे नहीं उतरते।

मॉस्क, दस्ताने और सैनिटाइजर उपलब्ध कराने का दावा किया गया है, मगर इन जवानों की ड्यूटी ऐसी होती है कि वे हर कदम पर सैनिटाइजर जैसी वस्तुओं का इस्तेमाल नहीं कर सकते। 

नतीजा, कहीं न कहीं चूक होती और वे कोरोना संक्रमण की चपेट में आ जाते हैं। सेना में भी इस तरह का मामला सामने आ चुका है।

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सीआरपीएफ में भी कई संदिग्ध केस देखने को मिले हैं। 

बीएसएफ और सीआईएसएफ में तो कोरोना के दर्जनभर मामले रिपोर्ट किए गए हैं। 

मुंबई में सीआईएसएफ जवानों के जो 11 केस आए हैं, उनके बाबत कहा जा रहा है, कि उनके पास कोरोना संक्रमण से बचने के सभी उपकरण नहीं थे।

हालांकि सीआईएसएफ मुख्यालय के डीआईजी अनिल पांडे का कहना है कि हमने अपने जवानों को सभी तरह के जरूरी उपकरण मुहैया कराए हैं। 

जहां पर ये केस मिले हैं, वहां सभी 136 लोगों को क्वारंटीन में रखा गया है।


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जवानों की ड्यूटी की चुनौतियां हैं खास
केंद्रीय सुरक्षा बल के एक कॉडर अफसर बताते हैं कि कोरोना की लड़ाई में अगला कदम क्या है, ये कोई नहीं जानता। 

कभी दूरदराज के इलाके में किसी को पकड़ना या क्वारंटीन में रखना है, तो वहां जवानों को एकाएक सभी उपकरण नहीं मिल पाते हैं।

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निजामुद्दीन मरकज से जमातियों को बाहर निकालना था, वहां संक्रमण फैलने का सबसे ज्यादा खतरा बताया गया। 

इसके बाद जमातियों की तलाश होती है, हमें ये नहीं मालूम होता कि किसमें क्या लक्षण है।

लोगों को हाथ से ही तो इधर उधर करना पड़ता है। 

बस में बैठाना है, क्वारंटीन में ले जाना है। वे इतने करीब होते हैं कि जवान यह सोच ही नहीं पाता कि मुझे दूरी बनाकर रखनी है।

दरअसल, उसकी ड्यूटी ऐसी है कि वह चाह कर भी दूरी नहीं बना सकता।

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मोबाइल एप डाउनलोड करना जरूरी

इन सब बातों के मद्देनजर, अब केंद्र सरकार ने अपने सुरक्षा बलों के लिए आरोग्य सेतु मोबाइल एप डाउनलोड करना जरूरी कर दिया है। 

एक अधिकारी के अनुसार, इस एप में तय सेवाओं के अलावा जवानों की सुविधाओं को देखते हुए कुछ बदलाव भी किए गए हैं।

सीआरपीएफ ने तो अपने सभी जवानों और अफसरों को साफतौर पर कह दिया है कि वे इस एप को डाउनलोड करें और अपने सीनियर को सूचित करें। इस एप के अनुसार, वे रोजाना अपनी रिपोर्ट दें। 

इसके अलावा जम्मू-कश्मीर में एक हेल्पलाइन भी जारी की गई है।


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इस पर जवान खुद या अपने परिजनों के लिए सीधे डॉक्टर से बात कर सकते हैं। 

सेना और दूसरे बलों में भी इसी तरह की सेवाएं शुरू की गई हैं।

आयुष मंत्रालय ने आरोग्य सेतु एप तैयार किया

भारत सरकार के आयुष मंत्रालय ने आरोग्य सेतु एप तैयार किया है।

इस एप की मदद से जवान कोरोना के संबंध में अपनी रिपोर्ट प्राप्त कर सकते हैं। 

कोरोना को लेकर जवानों के मन में जो भी शंका या सवाल हैं, उनका समाधान इस एप में मौजूद है। 

आरोग्य सेतु से कुछ भी पता करने के लिए जवानों को ब्लूटूथ और अपनी लोकेशन का ऑप्शन मोबाइल में ऑन रखना होगा।

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एप से यह भी पता चल सकता है कि कहीं कोई जवान जाने अनजाने किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में तो नहीं आया है। 

यह एप 11 स्थानीय भाषाओं में सुविधा प्रदान करता है। 

साथ ही कोई जवान यूजर को उस वक्त अलर्ट भी भेजता है जब वह किसी कोरोना संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आता है।

यह एप ताजा मामलों की जानकारी देता है। 

यह उन्हीं लोगों को सतर्क करता है जो संक्रमित व्यक्ति के आस-पास रहे हैं।

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